 
            रूह की बारिश
 
                                                    रूह की बारिश, बरसा चाहती है
खुदावंद की शिफा आती है -2
प्रेम की बरखा, बरसा चाहती है
खुदावंद की शिफा आती है -2
शिफा का मंबा यीशु मसीहा
छूने का उसको वक्त है ये -2
अपने ईमान से, उसके लहू से
पापों से धुलने का वक्त है ये -2
रूह की बारिश, बरसा चाहती है...
तेरे गुनाह चाहे हो किर्मिज़ी
बर्फ की मानिंद धो देगा वो -2
पानी और रूह से देगा जन्म
झरनों सी जिंदगी दे देगा वो -2
रूह की बारिश, बरसा चाहती है...
कोड़े भी खाए तेरे लिए
तेरे लिए ही वो सूली चढ़ा -2
कुचला गया वो तेरे लिए
तेरी शिफा को, ये सब सहा -2
रूह की बारिश, बरसा चाहती है...
उसपे नज़र कर, ले ले शिफा
अपने मसीहा से, ले ले शिफा -2
उसकी सलीब से, ले ले शिफा
उसके लहू से, ले ले शिफा -2
रूह की बारिश, बरसा चाहती है...

 
                                            