मसीह जलाल की उम्मीद
मसीह जलाल की उम्मीद
मुझपर खुदावंद ने ये
ज़ाहिर करना चाहा
गैर- कौमों से उसने
बाहर मुझे निकाला
मुझे दी जलाल की दौलत
ये भेद मुझे सिखलाया
के मसीहा मुझ में रहता है
साथ मसीह के खुश रहता हूँ
दिल से, जान से और अक्ल से
प्यार खुदावंद से करता हूँ
ख़ादिम बना हूँ मैं उसका
मैं उसके काम करूंगा
जो उसने सिखाई बातें
सारी दुनिया से कहूंगा
सबको ये दौलत देंगे
मुफ़्त मिला है, मुफ़्त में देंगे
क़ुव्वत है वह, ताकत है वह
जो पाएं वह कामिल होंगे
आओ सुनाएं हम चल के
सब दुनिया को खुशखबरी
अब जान ले दुनिया वाले
ये भेद की बातें गहरी
