जो क्रूस पे कुर्बान है

जो क्रूस पे कुर्बान है

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जो क्रूस पे कुर्बान है, वो मेरा मसीह है
हर ज़ख़्म जो उसका है, वो मेरे गुनाह का है

इस दुनिया में ले आये, मेरे ही गुनाह उसको
ये जुलुम-ओ-सितम उस पर, मैंने ही कराया है

इंसान है वो कामिल, और सच्चा खुदा वो है
वो प्यार का दरिया है, सचाई का रास्ता है

देने को मुझे जीवन, खुद मौत सही उसने
क्या खूब है क़ुरबानी, क्या प्यार अनोखा है