ऐ सृष्टी के रचने वाला
ऐ सृष्टी के रचने वाला
तेरी जय जयकार हो
चंद्रमा, सूरज और तारे
भूमी के प्राणी भी सारे
धरती, आकाश दोनो मिलकर
गाते हैं गीत निहारे
छाया हुआ अंधियारा दिखा ना सका उजियाला
ज्योति बनकर मेरा यीशु आया
कदमों में उसके मैं गिर पड़ा
आपराधों के बंधन में मैं था उलझा हुआ
ज्योति बनकर मेरा यीशु आया
कदमों में उसके मैं गिर पड़ा
सूचीमाला पर लौटे
