आओ मसीह

आओ मसीह

bookmark

आओ मसीह के पास, की अब वो बुला रहा - २
तौबा करो गुनाह से, वो लहू बहा रहा - २

दर दर हो क्यों भटकते, जीवन की रह में
एक बार आके देखो, येशु की बाहं में
कितना भी हो अँधेरा - 2
ज्योति देने तुम्हे
अब वो बुला रहा - 2

तोडा है हर किसी न, तुम्हारे विश्वास को
शायद सभी कुछ पा कर खोया है आस को
कितनी हो न उमीदी - 2
आशा देने तुम्हे
अब वो बुला रहा - 2

धुप और छांव है ज़िन्दगी लम्बा है ये सफ़र
साया भी साथ छोड़ता येशु है हम सफ़र
कितनी कठिन हो रहें - २
मंजिल देने तुम्हे
अब वो बुला रहा - २