अपने आप को , पहचान ना सकी
अपने आप को , पहचान ना सकी
पर तूने , पहचान लिया
पढ़ लिया तूने , यह जिंदगी को
और बताया , मैं कौन हूँ
तुझसे ही है शुरू
तुझ पर ही आके रुकूँ
जाऊं तो कहाँ , तेरे बिना येशु
क्या अहमियत मेरी , जब तू ना हो कभी
क्या कीमत है मेरी , ज़िंदगी की
हूँ क्या मैं ?, कौन हूँ मैं ?
क्यूँ हूँ मैं ?
तेरी उत्कृष्ट कारीगरी , कहा तूने
मेरी उत्कृष्ट कारीगरी , कहा तूने
जिसे मैंने है रचा
जिसे खुद ही मैंने चुना
मेरे ही समान , बनाया तुझे
तेरी कीमत चुकाई है
तेरी अहमियत , बढ़ गयी
तेरी ज़िंदगी मेरी , अमानत बनी
अपने आप को , हूँ पहचान रही
डर नहीं है मुझे , जो तू साथ है
बदल दिया तूने , मेरे बीते कल को
है पता अब मुझे , की मैं तेरी हूँ
येशुआ .......
