 
            हे मेरे मन
 
                                                    हे मेरे मन, यहोवा को, धन्य धन्य कहो (2)
जो कुछ भी मुझ में है (2) उसको धन्य कहो
1 वही तेरे अधर्मो को क्षमा करता है,
तेरे सब रोगों को चंगा करता है, ;हाल्लेलूयाह (2)
वही तो तेरे प्राण को, नाश होने से बचाता है....
2 सत्य नाश के गड्ढ़े से मुझे निकाला,
दल दल की कीच से मुझे उभारा ;हाल्लेलूयाह (2)
मेरे पैरों को दृढ़ किया है, चट्टान पर खड़ा किया है....
3 हे यहोवा के दूतों उसको धन्य कहो,
हे सारी पृथ्वी उसको धन्य कहो ;धन्य कहो (2)
उसके राज्य के सब स्थानों में, यहोवा को धन्य कहो....

 
                                            