 
            हमदर्द तू
 
                                                    जब अपने छोड़ चले
सिर्फ तू ही बचा था मसीह
जब समझी न दुनिया
तूने ही समझा था तभी
आंसुओं की नदियां ने तकिये को जब भिगोया
खामोशी की चीखों में तू का कमरे में आया
हमदर्द तू , हमराज़ भी
तू दोस्त है , मेरा मीत तू ही
सफर में तूने थामा हाथ भी
मेरे ज़ख्मों का मरहम तू ही
तनहा बेवफाई में
पाया तुझको साथ मसीह
जब सब था खोया मैं
दिलासा तू बना था तभी
आनेवाले कल के डर से जी , मेरा घबराया
तूने ही पुकारा , तूने सीने से लगाया
हमदर्द तू , हमराज़ भी
तू दोस्त है , मेरा मीत तू ही
सफर में तूने थामा हाथ भी
मेरे ज़ख्मों का मरहम तू ही
मेरे अश्कों को तूने संभाला के रखा है
मेरा दर्द तेरा बना
यह नाज़ुक जान , सिर्फ तुझ पर ही फ़िदा है
तुही जीने की वजह

 
                                            