सिय्योन के सफर

सिय्योन के सफर

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सिय्योन के सफर में मेरे मन व्याकुल न होना कभी अब्राहाम का प्रभु इसहाक का प्रभु
याकूब का प्रभु मेरे साथ है सदा (२)
अब किसी बात की मुझे कोई चिन्ता डर नहीं
जीवन की रोटी देके, वो चलाता कुशल से मुझे
दुनिया की नजरों में मैं भले मुर्ख ही जाना जाऊं
की नजरों में मैं सर्वश्रेष्ठ ही गिना जाऊँ
किसी मनुष्य पर आश्रय नहीं अब मेरा निश्चय यही
मेरा आसरा केवल यीशु ही वो सनातन शरण मेरी