लहू के बगै़र न

लहू के बगै़र न

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लहू के बगै़र न शिफा न नज़ात है….2.
तौबा के साथ ये मुफ़्त सौगात है….2.

इक तू ही बचे न बचेगा कुल घराना
लहू की कुदरत को तूने न पहचाना
वादो का सच्चा और सच उसकी बात है….2.
तौबा के साथ ये मुफ़्त सौगात है।

एक ही बार उसने लहू को बहाया..2.
बन्धनों को तोड़ के तो बाप से मिलाया
हुआ अब सवेरा ख़त्म हुयी रात है..2.
तौबा के साथ ये मुफ्त सौगात है…..

प्यरे तू क्यों सोचे खुदावन्द तुझसे दूर है…
मुक्ती फज़ल से मिले उसके हुजूर है
ईमाँ जो लाये खुदावन्द उसके साथ है
तौबा के साथ ये मुफ़्त सौगात है…