मौर्य काल

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मौर्य काल

मौर्य राजवंश का इतिहास:

मौर्य साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी

चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई. पू. से 298 ई. पू.): चाणक्य की सहायता से अंतिम नन्द शासक घनानंद को पराजित कर 25 वर्ष की आयु में चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध का सिंहासन प्राप्त किया और उसने प्रथम अखिलभारतीय सम्राज्य की स्थापना की। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को पराजित किया तथा काबुल, हेरात, कंधार, बलूचिस्तान, पंजाब आदि क्षेत्र उससे ले लिया। सेल्यूकस ने अपने पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त से कर दिया तथा मेगास्थनीज को राजदूत के रूप में उसके दरबार में भेजा।

जानकारी के स्रोत

विष्णुगुप्त चाणक्य कौटिल्य लिखित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ से मौर्यों के प्रशासन तथा चन्द्रगुप्त मौर्य के व्यक्तित्व पर प्रकाश पड़ता है।

अन्य ग्रंथों में:

  • कथासरित्सागर – सोमदेव
  • वृहत्कथामंजरी – क्षेमेन्द्र
  • महाभाष्य – पतंजलि
  • कल्पसूत्र – भद्रबाहू

विदेशी विवरणकारों में स्ट्रैबो तथा जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सैन्ड्रोकोट्स कहा है। पुरातात्विक सामग्रियों में काली पॉलिश वाले मृदभांड तथा चांदी और ताम्बे के आहत सिक्के मुख्य हैं जो बुलन्दीबाग, कुम्हरार, पटना, जयमंगलगढ़ आदि जगह से प्राप्त हुए हैं।

सैन्य व्यवस्था

सैन्य व्यवस्था छः समितियों में विभक्‍त सैन्य विभाग द्वारा निर्दिष्ट थी। प्रत्येक समिति में पाँच सैन्य विशेषज्ञ होते थे।

पैदल सेना, अश्‍व सेना, गज सेना, रथ सेना तथा नौ सेना की व्यवस्था थी।

सैनिक प्रबन्ध का सर्वोच्च अधिकारी अन्तपाल कहलाता था। यह सीमान्त क्षेत्रों का भी व्यवस्थापक होता था। मेगस्थनीज के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना छः लाख पैदल, पचास हजार अश्‍वारोही, नौ हजार हाथी तथा आठ सौ रथों से सुसज्जित अजेय सैनिक थे।

प्रान्तीय प्रशासन

मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) थी। इसके अतिरिक्त साम्राज्य को प्रशासन के लिए चार और प्रांतों में बांटा गया था। पूर्वी भाग की राजधानी तौसाली थी तो दक्षिणी भाग की सुवर्णगिरि। इसी प्रकार उत्तरी तथा पश्चिमी भाग की राजधानी क्रमशः तक्षशिला तथा उज्जैन (उज्जयिनी) थी। इसके अतिरिक्त समापा, इशिला तथा कौशाम्बी भी महत्वपूर्ण नगर थे। राज्य के प्रांतपालों कुमार होते थे जो स्थानीय प्रांतों के शासक थे। कुमार की मदद के लिए हर प्रांत में एक मंत्रीपरिषद तथा महामात्य होते थे। प्रांत आगे जिलों में बंटे होते थे। प्रत्येक जिला गाँव के समूहों में बंटा होता था। प्रदेशिकजिला प्रशासन का प्रधान होता था। रज्जुक जमीन को मापने का काम करता था। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव थी जिसका प्रधान ग्रामिक कहलाता था।

पतन के कारण

अशोक के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले। इस वंश का अंतिम राजा बृहद्रथ मौर्य था। 185 ई.पू. में उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उसकी हत्या कर डाली और शुंग वंश नाम का एक नया राजवंश आरंभ हुआ।

  • अयोग्य एवं निर्बल उत्तराधिकारी,
  • ्रशासन का अत्यधिक केन्द्रीयकरण,
  • चेतना का अभाव,
  • आर्थिक एवं सांस्कृतिक असमानताएँ,
  • प्रान्तीय शासकों के अत्याचार,
  • करों की अधिकता।

मोर्य शासक कौन कौन थे

क्र.सं. शासक शासन काल
1 चन्द्रगुप्त मौर्य 322 ईसा पूर्व- 298 ईसा पूर्व
2 बिन्दुसार 298 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व
3 अशोक 273 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व
4 दशरथ मौर्य 232 ईसा पूर्व- 224 ईसा पूर्व
5 सम्प्रति 224 ईसा पूर्व- 215 ईसा पूर्व
6 शालिसुक 215 ईसा पूर्व- 202 ईसा पूर्व
7 देववर्मन 202 ईसा पूर्व -195 ईसा पूर्व
8 शतधन्वन मौर्य 195 ईसा पूर्व 187 ईसा पूर्व
9 बृहद्रथ मौर्य 187 ईसा पूर्व- 185 ईसा पूर्व