मुबारक नौबत दुआ की

मुबारक नौबत दुआ की

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मुबारक नौबत दुआ की,
जब छोड़ फ़िकर दुनियांबी
मैं अपने बाप के पाक़ हुज़ूर,
सब उससे मांगू जो ज़रूर
दुआ से दु:ख़ और ग़म की आन,
तसल्ली पाती मेरी जान
आज़माइश से मैं भागता हूँ,
जब दुआ कर के जागता हूँ
आज़माइश से मैं भागता हूँ,
जब दुआ कर के जागता हूँ

मुबारक नौबत दुआ की,
जब अपने बाप के वादे भी
मैं याद कर मानता उसका प्यार,
और बरक़त का हूँ उम्मेदवार
तू मेरे मुंह का तालिब हो,
यह सुन मैं ढूढ़ता उसी को
और अपनी फ़िक्र सरासर,
दुआ में डालता उसी पर
और अपनी फ़िक्र सरासर,
दुआ में डालता उसी पर

मुबारक नौबत दुआ की,
उस से तसकीन ओ ताज़गी
मैं पाऊं जब तक बीच आसमान,
मैं देखूं अबदी मकान
तब ख़ाक से उठ के यीशु पास,
ग़ैर-फ़ानी पाऊंगा मीरास
और सदा उसके रू-ब-रू,
ख़ुशहाल मैं हूंगा हू-ब-हू
और सदा उसके रू-ब-रू,
ख़ुशहाल मैं हूंगा हू-ब-हू