ध्यान में रखने लायक बातें
जो शहद गहरे रंग का होता है, उसमें ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।
शहद खराब नहीं होता और उसे ठीक से बंद करके रखने पर लंबे समय तक रखा जा सकता है।
पुरातत्वविज्ञानियों को मिस्र के प्राचीन शहर थेब्स में फेरों की कब्रों में और तूतनखामन की कब्र में शहद के सीलबंद जार मिले हैं। यह पता नहीं चला है कि पुरातत्वविज्ञानियों ने उस शहद का क्या किया!
एक साल से कम उम्र के शिशुओं को शहद नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि उसमें बोटुलिज्म बैक्टीरिया के जीवाणु हो सकते हैं जिसकी वजह से शिशु बीमार हो सकता है। ये जीवाणु धूल और मिट्टी में पाए जाते हैं, जो शहद में जा सकते हैं। शिशु का शरीर इस तरह के संक्रमण से अपना बचाव करने के लिए तैयार नहीं होता है।
एक और ध्यान रखने लायक बात यह है कि मधुमेह के मामले में शहद सफेद चीनी से बहुत अलग नहीं है। दोनों ही रक्त शर्करा का स्तर बढ़ाते हैं और मधुमेह के रोगियों को दोनों में उतना ही ध्यान रखना चाहिए।
