टी.बी
केले के तने का रस निकालकर एक कप की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से 40 दिनों में टी.बी. का रोग शांत होता है।
केले के तने का ताजा रस या कच्चा केला का प्रयोग करना टी.बी. रोग के लिए बेहद लाभकारी होता है।
क्षय (टी.बी.) रोग से पीड़ित रोगी में कष्टदायक खांसी, बलगम आना, रात को अधिक पसीना आना, तेज बुखार होना, दस्त रोग, भूख न लगना, वजन का कम होना आदि रोग भी हो तो रोगी को केले के मोटे तने के टुकड़े का रस निकालकर 1-2 कप रस हर दो घंटे घूंट-घूंट करके पीएं। इस तरह 2 महीने तक सेवन करने से टी.बी. का रोग ठीक होता है। केले का रस हर 24 घंटे के बाद ताजा ही निकालना चाहिए। 8-10 केले के पत्ते 200 मिलीलीटर पानी में डालकर पड़ा रहने दें। इस पानी को छानकर एक बड़ा चम्मच दिन में तीन बार पीना चाहिए इससे फेफड़ों में जमी गाढ़ी बलगम पतली होकर निकल जाती है। केले के पत्ते का रस मीठा में मिलाकर टी.बी. के रोगी को पिलाते रहने से भी उसके फेफड़ों के घाव भर जाते हैं। बलगम कम होता है और फेफड़ों के घाव भर जाते है। बलगम कम हो जाती है और फेफड़ों से खून आना रुक जाता है। केले के तने न हो तो केले के पत्तों का रस इसी प्रकार काम में ले सकते हैं।
