 
            जो क्रूस से
 
                                                    जो क्रूस से लहू बहा मेरे लिए (2)
काफी है वो मेरे गुनाह धोने के लिए (2)
दुखों को मेरे वो उठा लिया,
अपराधों के कारण वो घायल हुआ (2)
मेरी शांति के लिए, उस पर ताड़ना पड़ी,
उसके कोड़े खाने से ही चंगा मैं हुआ…
जो क्रूस से…
कटोरे को उसने उठाकर कहा,
मेरे लहू में यही एक नई वाचा (2)
जो बहाया इस जग के लिए, मेरे गुनाहों के लिए,
उस पर से जो भी पिए, कभी न मरेगा…
जो क्रूस से

 
                                            