गम के अंधेरों में

गम के अंधेरों में

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गम के अंधेरों में
तेरी रहमत का नूर है
गुलामी की रातों में
तू आजादी का भोर है

अपने रहम -ओ -करम से
तू करता है हमको रिहा
अब भलाई की राहों पे
चलना भी तू ही सीखा

भारत का खुदा है तू
इस देश की रज़ा है तू
जो तुझको जाने
सारे उध्द्दार पाए
तू बंधन हटाकर ,आजाद करे
भारत का खुदा है तू

गुनाहों के बोझ से
हमें देता नजात है
जुल्मों के बिच में
येशु तू ही इन्साफ है

अपने सामर्थी हाथों से
करता है हमको रिहा
अब भलाई की राहों पे
चलना भी तू ही सीखा

भारत का खुदा है तू
इस देश की रज़ा है तू
जो तुझको जाने
सारे उध्द्दार पाए
तू बंधन हटाकर ,आजाद करे
भारत का खुदा है तू


भारत के एक सिर से
भारत के अंत छोर तक
दूजा कोई नहीं हमारा
येशु तू ही है खुदावंद
क्या बस चले अंधकार का
भारत का तू है सामर्थ
तू ही बल , तू ही सुरक्षा
किस आतंक से डरेगा भारत
आजादी मिली आजादी
सभी पाप , श्राप से आजादी
तेरी नजर ए करम जब हमपे लगी है
तभी छू न पाएगी कोई बिमारी
क्योंकि मेघ स्तंभ भी तू
हमारा अग्नि स्तंभ भी तू
तेरे प्यार से भर कर
नूर से भरकर
बना दे ऐसा देश
जिसे तूने हाथों में है थामा हुआ
सीने से लगाया हुआ
दिल के करीब , तेरे लहू से सजाया हुआ
तेरे निगाहों में , शान से बसाया हुआ
जुदा न तुझसे , नाम से पुकारा हुआ
सारी जातियां , सारी भाषा में
आत्मा से आराधना करे
धन्यवाद दे , स्तुति हम करें
खौफ हटाकर , गर्व से कहें

भारत का खुदा है तू
इस देश की रज़ा है तू
जो तुझको जाने
सारे उध्द्दार पाए
तू बंधन हटाकर ,आजाद करे
भारत का खुदा है तू