 
            खुद सबका क्रूस उठाए
 
                                                    खुद सबका क्रूस उठाए
प्यारा मसीहा चला
जहाँ का बोझ अपने कंधो पर ले चला -2.
ना कोई रंज ना गिला उसको ज़माने से -2.
क्या खता थी जो मिला दर्द जमाने से -2.
उठाये बोझ गुनाहो का बेगुनाह वह चला -2.
सीने पर मार उसने सही काटों का ताज सहा -2.
क्या किया था बदले में कैसा यह दुःख मिला -2.
नज़राना देके खुशियों का लेके सितम वह चला -2.
सूली ही मौत बन गई मुक्ति प्रभु सबकी -2.
कह रही है कलवरी कुरबानी उसकी-2.
कुरबा हुवा नुरे जहाँ मेहरबा वह चला -2.

 
                                            