कैसा अनोखा प्यार

कैसा अनोखा प्यार

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कैसा अनोखा प्यार
करता मुझे हैरान
पापी होने पर भी
करता वह मुझे प्यार

पापों में मैं पड़ा
फन्दे में था फँसा
प्यार से हाथ बड़ा
पापों से दे दी क्षमा

कोई नहीं हैं यहाँ
देगा जो अपनी जान
केवल यीशु मसीह
मेरे लिए कुरबान