इतना रहम तूने मुझ पर

इतना रहम तूने मुझ पर

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इतना रहम तूने मुझ पर कर दिया प्रभु,
मेरे शरीर को मंदिर बनाया,
मन को बनाया घर।

मालिक है तू स्वर्ग का,
यह जहां भी तेरा है,
फिर भी यीशु ने मेरे मन को
अपना बसेरा बनाया है। (2)

मैं मंदिर हूँ तेरा,
तू ही राज करे सदा।
(इस मंदिर में तेरी उपासना हो सदैव, सर्वदा।)(2)

दिल को मेरे तूने आसन बनाया,
मेरे लिए इससे बढ़कर है क्या !
यह सारी दुनिया तुझसे जुड़ी है,
और तू मेरे दिलमे बसा।

आशीषित हैं हम, ऐ यीशु मसीह,
इस दिल में तू रहता है।