मोहम्मद ग़ोरी

मोहम्मद ग़ोरी

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मोहम्मद ग़ोरी

मुहम्मद गौरी का पूरा नाम मुइनुददीन मुहम्मद बिन साम गौरे था मोहम्मद गौरी ने 1176 ई मे गजनी का सिंघासन सम्हाला मोहम्मद गौरी ने भारत पर तुर्क राज्य की स्थापना की

इसका पहला आक्रमण 1175 में मुल्तान पर हुआ

शंसबानी वंश के मोहम्मद गौरी का भारत पर प्रथम आक्रमण 1175 ईस्वी में मुल्तान पर हुआ था गोमल दर्रे से होकर डेरा इस्माइल खाँ होते हुए सिंध पहुंचने का मार्ग उस समय का सबसे प्रचलित मार्ग था मोहम्मद गोरी ने इसी मार्ग से सिंध पर आक्रमण किया मोहम्मद गौरी से पहले के आक्रमण भी इसी मार्ग से हुए थे

मोहम्मद गोरी के आक्रमण के समय मुल्तान पर करमाथियों का शासन था मोहम्मद गोरी ने सरलता से उन्हें पराजित कर मुल्तान जीत लिया मुल्तान पर अधिकार करने के बाद उसने उच्च और निचले सिंध को भी जीता था

मोहम्मद गौरी का भारत पर दूसरा आक्रमण

दूसरा आक्रमण पाटन (गुजरात) में हुआ इसने 1176 ई में ऊच्छ पर आक्रमण करके भट्टी राजपूतों का राज्य छीन लिया

तराईन का युद्ध

तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई०)

मुहम्मद गोरी ने 1186 में गजनवी वंश के अंतिम शासक से लाहौर की गद्दी छीन ली और वह भारत के हिन्दू क्षेत्रों में प्रवेश की तैयारी करने लगा।

गोरी और पृथ्वीराज चौहान की सेनाओं के बीच पहला युद्ध सन् 1191 ई. में थाणेश्वर के पास तराइन के मैदान में हुआ था। गोरी के पास 1 लाख 20 हजार सैनिकों की विशाल सेना थी, जिसमें हजारों की संख्या में घुड़सवार भी थे। उधर पृथ्वीराज चौहान की सेना भी एक लाख के लगभग थी और उनकी सेना में हजारों हाथी थे। इस युद्ध में गोरी की भारी पराजय हुई, क्योंकि उसकी घुड़सवार सेना हाथियों का मुकाबला नहीं कर सकी। गोरी की अधिकांश सेना मारी गयी और बचे-खुचे साथी गोरी का साथ छोड़कर इधर-उधर भाग गये। घायल अवस्था में गोरी पकड़ा गया। कहा तो यह जाता है कि पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार गोरी को माफ किया था। लेकिन इस दावे में विश्वसनीयता कम है।

 तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई०)

सन् 1192 ई. में उसने अधिक बड़ी सेना लेकर फिर भारत पर हमला कर दिया। उसी तराइन के मैदान में उसका मुकाबला फिर पृथ्वीराज चौहान और उनके सहयोगियों की सेनाओं से हुआ। इसका परिणाम भी पहले जैसा ही रहने वाला था। लेकिन यहाँ गोरी ने एक चाल चली। हिन्दू राजाओं का नियम था कि युद्ध हमेशा सूर्योंदय के बाद और सूर्यास्त से पहले लड़े जाते थे। सूर्यास्त होते ही युद्ध बन्द कर दिया जाता था। गोरी इस नियम को जानता तो था, लेकिन अपनी संस्कृति के अनुसार उसे मानता नहीं था। उसने एक दिन भोर में ही पृथ्वीराज की सेना पर आक्रमण कर दिया। तब तक उनकी सेना तैयार तो क्या जाग भी नहीं पायी थी। इसलिए थोड़े समय में ही पृथ्वीराज की सेना का बहुत बड़ा भाग नष्ट हो गया और बची हुई सेना बिखर गयी। जब तक पृथ्वीराज चौहान कुछ समझ पाते तब तक उनको गोरी के सैनिकों ने पकड़ लिया और बंदी बना लिया।