गर्भावस्था

गर्भावस्था

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आम तौर पर, सौंफ बीज और इसके पारंपरिक योग मतली, भूख, अपच, सिर का चक्कर, और पेट दर्द आदि के इलाज के लिए गर्भावस्था के दौरान प्रयोग किये जाते है। इन सभी स्थितियों में, सौंफ़ प्रभावी और उपयोगी सिद्ध होती हैं।

सौंफ कम मात्रा में (प्रति दिन से 6 ग्राम से कम) गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित होने की संभावना है। यह अधिक खुराक में प्रयोग में नहीं लिया जाना चाहिए।

सौंफ वास्तव में ऐंठन और माहवारी के दर्द को कम करके मासिक धर्म में सुधार करती है। अधिक खुराक में, सौंफ मासिक धर्म का स्त्राव करने वाली हैं। हालांकि, सौंफ का प्रभाव मासिक धर्म उत्प्रेरण बहुत नगण्य हैं। फिर भी गर्भवती महिलाओं को इसका प्रयोग अत्याधिक मात्रा में नहीं कारण ही हितकर रहेगा। गर्भवती महिलाओं को 6 ग्राम प्रतिदिन से ज्यादा सौंफ़ का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

सौंफ तेल, सौंफ सत, या सौंफ के किसी भी अप्राकृतिक रूप यौगिक का प्रयोग गर्भावस्था में नहीं करना ही हितकर है।

सौंफ पानी, सौंफ चाय, सौंफ अर्क, या सौंफ के पारंपरिक तरीकों के साथ तैयार किये गए काढ़े भी संभवतः सुरक्षित है जब वह 6 ग्राम या कम सौंफ़ बीजों से तैयार किये गए हो। गर्भवती महिलाओं सौंफ़ का उपयोग इसके प्राकृतिक रूप में में ही करें।