मेरे मेहबुब

मेरे मेहबुब

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मेरे मेहबुब प्यारे मसीहा,
किस जगह तेरा जलवा नहीं है,
किस जगह तेरी शोहरत नहीं है,
किस जगह तेरा चर्चा नहीं है,
आँख वालों ने तुझ को है देखा,

कानों वालों ने तुझ को सुना है,

तुझको पहचानते हैं वो इन्सां,

जिनकी आँखों पर परदा नहीं है

लोग पीते हैं, पीकर गिर जाते हैं,

मैं तो पीता हूँ, गिरता नहीं

मैं जो पीता हूँ, दर पर मसीह के,

वह अंगूरों का शीरा नहीं है

3. मर गई थी वो याईर की बेटी,

तूने उस पे निगाहें करम की,

कर दिया ज़िन्दा उसको ये कह कर,

वह तो सोती है मुर्दा नहीं है

मैं तो देता हूँ उसकी गवाही,

मैंने ज़िंदगी मसीहा से पाई

अब तो ज़िंदगी है तेरे हवाले,

मैं तो तेरा किसी का नहीं हूं