प्रवाहिका (पेचिश)
रक्तमिश्रित प्रवाहिका तथा उदरशूल (पेट में दर्द) में दूधी के 5-10 ग्राम पंचांग का रस, 1 चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रवाहिका रोग में लाभ मिलता है।
रक्तमिश्रित प्रवाहिका तथा उदरशूल (पेट में दर्द) में दूधी के 5-10 ग्राम पंचांग का रस, 1 चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रवाहिका रोग में लाभ मिलता है।