व्रण (जख्म), गलगंड (घेघा), नारू (गंदे पानी के पीने से होने वाला रोग) पर
"बेल के पत्तों को बिना पानी के पीसकर टिकिया बनाकर जख्मों पर बांधने से लाभ मिलता है।
बेल के पत्तों को पीसकर, पोटली बनाकर फोड़ों पर बांधने से तुरंत लाभ मिलता है।
कैंसर या कार्बन्कल नामक भंयकर जहरीले व्रणों (जख्मों) में बेल के पत्तों की पोटली, पत्तों के रस से या काढ़े से छानकर, तथा साथ ही रोजाना 25 मिलीलीटर तक बेल के पत्तों का रस दिन में तीन बार सेवन कराने से जख्मों में लाभ मिलता है।"
