एक मन में आस है ,

एक मन में आस है ,

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अभिषेक की प्यासे है
मुझे हाँ मुझे
रूह पाक में यहाँ ,
तेरा स्वागत करता हूँ
छू ले , हाँ छू ले

न तो बल से , न शक्ति से
पर तेरी रूह से हो ..
तेरी रूह से सुनता रहूं ,
तेरी रूह से जय में पाऊं
तेरी रूह से सुनता रहूं ,
तेरी रूह से जय में पाऊं

रूह ए पाक मेरा बल और सामर्थ
रहेबर बनकर रहेता
में जहाँ भी रहूं तूं वहां
सहायक बनकर रहेता
मुझे तेरी जरुरत है
मुझे तेरी जरुरत है

न तो बल से , न शक्ति से
पर तेरी रूह से हो ..
तेरी रूह से सुनता रहूं
तेरी रूह से जय में पाऊं
तेरी रूह से सुनता रहूं
तेरी रूह से जय में पाऊं

रूह ए पाक मेरा साथी सहभागी
सलाहकार बनकर रहेता
में जहां भी सोचूं तूं वहां
नियंत्रक बनकर रहेता
मुझे तेरी जरुरत है
मुझे तेरी जरुरत है

न तो बल से , न शक्ति से
पर तेरी रूह से हो ..
तेरी रूह से सुनता रहूं
तेरी रूह से जय में पाऊं
तेरी रूह से सुनता रहूं
तेरी रूह से जय में पाऊं